bhairav kavach - An Overview
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संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
भक्तियुक्तेन मनसा कवचं पूजयेद्यदि ॥ २५॥
ॐ ह्रीं प्राणापानौ समानं च उदानं व्यानमेव च ।
पठनात् कालिका देवि पठेत् कवचमुत्तमम् । श्रृणुयाद्वा प्रयत्नेन सदानन्दमयो भवेत् ।।
॥ इति श्रीरुद्रयामलोक्तं श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचं सम्पूर्णम् ॥
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् मे सर्वतः प्रभुः।
नैव सिद्धिर्भवेत् तस्य विघ्नस्तस्य पदे पदे ।
श्रद्धयाऽश्रद्धया वापि पठनात् कवचस्य तु ।
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच here कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
पठनात् कालिकादेवी पठेत् कवचमुत्तमम् ।
शङ्खवर्णद्वयो ब्रह्मा बटुकश्चन्द्रशेखरः ॥ ५॥